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वर्तमान में अध्यापन की समस्याएँ
किशोर कवंल,
प्राध्यापक रा. व. मा. वि. फतेहगढ़, जींद, हरियाणा
सारांश
यद्यपि फोन, कम्प्यूटर, टेलीविजन आदि द्वारा अध्यापकों ने छात्रों को शिक्षित करने का जटिल व मुश्किल प्रयास किया परन्तु यह प्रयास उतना सार्थक व उपयोगी सिद्ध नहीं हो सका जितनी इसकी अपेक्षा की गई थी। इस असफलता के कारण बहुत थे जैसे, सभी विद्यार्थियों के पास जरूरी उपकरणों का न होना, बिजली या इंटरनेट का न होना आदि आदि। इस प्रयास में असफलता तो मिली ही अपितु इस व्यवस्था ने तो एक अलग ही प्रकार की कुव्यवस्था का भयंकर रूप धारण कर लिया। बच्चे इंटरनेट के न केवल आदि हो गए बल्कि शिक्षा के अतिरिक्त अन्य गैर जरूरी सामग्री की जद में आकर अपना और अधिक नुकसान करने लगे। आंखों की बीमारियाँ लगने लगी व मानसिक विकार भी डराने लगे हैं। कहने का तात्पर्य यही है कि ये वैकल्पिक व्यवस्था ही अंततः जी का जंजाल बन गई जिसमें हमारे नौनिहाल पिसते नजर आ रहे हैं अर्थात फायदे की जगह हानि ही सर्वत्र अधिक हुई है।
मुख्य शब्दः- अध्यापन, शिक्षण-संस्थान, चुनौतियाँ, वैचारिक, महा देश, अधिगम
Cite this article
किशोरकवंल. (2022). वर्तमान में अध्यापन की समस्याएँ. Shodh Sari-An International Multidisciplinary Journal, 01(01), 89–93. https://doi.org/10.5281/zenodo.7747888
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